हिंदी साहित्य के आदिकाल में पृथ्वीराज रासो को सर्वोपरि स्थान देते हुए आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने 'हिंदी साहित्य का इतिहास' में लिखा है "कवि चंदबरदाई हिंदी साहित्य के प्रथम महाकवि हैं और उनका महान ग्रंथ 'पृथ्वीराज रासो' हिंदी का प्रथम महाकाव्य है। यह ढाई हजार पृष्ठों का बहुत बड़ा ग्रंथ है जिसमें ६९ समय (सर्ग) हैं।"
नागरी प्रचारिणी सभा से दो भागों में रासो का वृहद रूपांतर प्रकाशित हुआ, जिसमें पृथ्वीराज के जीवन काल से संबंधित सामंती वीर युगीन सभ्यता व संस्कृति का क्रमबद्ध विस्तृत वर्णन हुआ है। इसमें तात्कालिक युग जीवन से संबंधित हर पहलू को उजागर किया है। इसमें पृथ्वीराज और संयोगिता के मिलन, केलि-विलास, विवाह, षड्ऋतु का भव्य चित्रण किया गया है। इस ग्रंथ में कई रसों का उपयोग हुआ है, लेकिन वीर और शृंगार रस प्रमुख हैं। युद्ध क्षेत्र में योद्धाओं और सामंतों के शौर्य, वीरता और बलिदान तथा वीर रस का चित्रण जो रासो में हुआ है, वह अन्य वीर-ग्रंथों में दुर्लभ है। रासो पिंगल (ब्रज भाषा का अपभ्रंश रूप) में लिखा गया है। घटनाक्रम के अनुसार बिंब विधान, छंदों और भाषा का प्रयोग जो चंद ने किया है, वह अचंभित करने वाला है।
रासो का कथानक
२. सोमेश्वर चौहान और अर्नोराज तोमर पुत्री के वैवाहिक संबंध।
३. पृथ्वीराज व जयचंद का जन्म और अर्नोराज द्वारा पृथ्वीराज को गोद लेकर उत्तराधिकारी घोषित करना।
४. पृथ्वीराज के युद्ध विजय अभियान एवं शौर्य प्रदर्शन।
५. जयचंद का प्रतिशोध, संयोगिता का स्वयंवर और संयोगिता पृथ्वीराज का गंधर्व विवाह।
६. चंद का पृथ्वीराज के समानांतर चलने वाला जीवन काल।
७. मोहम्मद ग़ौरी का सरदार हुसैन शाह की प्रेमिका को हथियाने का प्रयास।
८. हुसैन शाह और उसकी प्रेमिका को पृथ्वीराज द्वारा शरण देना, शरणागत रक्षा की प्रतिज्ञा करना।
९. पृथ्वीराज द्वारा युद्ध की चुनौती स्वीकार करना।
१०. ग़ौरी द्वारा दिल्ली पर चढ़ाई, पृथ्वीराज की विजय और ग़ौरी को क्षमा दान देने की भूल।
११. पृथ्वीराज के संयोगिता के साथ विवाह और विलास में डूब जाने से राज्य में अव्यवस्था और असंतोष।
१२. ग़ौरी व जयचंद की कूटनीतिक संधि, गृह युद्ध में वीर योद्धाओं की वीरगति, दिल्ली पर ग़ौरी का पुनः आक्रमण और पृथ्वीराज को बंधक बना कर गजनी ले जाना।
१३. गजनी में पृथ्वीराज की आँखें फोड़ देना व चंद का सम्राट की मदद के लिए गजनी प्रस्थान और चंद के आग्रह पर ग़ौरी द्वारा पृथ्वीराज के शौर्य प्रदर्शन हेतु दरबार का आयोजन।
१४. चंद द्वारा छंद में गाकर ग़ौरी का निशाना बताना, पृथ्वीराज द्वारा शब्दभेदी बाण चलाकर ग़ौरी का वध करना। चंद और पृथ्वीराज का एक दूसरे को कटार से मार कर वीर गति को प्राप्त करना।
चंद ने पृथ्वीराज को बचाने के लिए गजनी जाने से पूर्व रासो को पूर्ण करने का उत्तरदायित्व अपने पुत्र जल्हण को दिया था। जल्हण ने रासो का अधूरा कार्य पूर्ण किया, इसका उल्लेख रासो में मिलता है,
रासो की प्रमाणिकता पर संदेह
१. लंबे प्रेम प्रसंग और युद्ध प्रसंगों के अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन से और कथानक के अनावश्यक विस्तार होने से इतिहासकार हीराशंकर गौरी शंकर ओझा ने रासो को "भाटों की कल्पना का विस्तार" माना।
२. संवतों व ऐतिहासिक घटनाओं का वास्तविकता से मेल न खाने की वजह से डॉ० माता प्रसाद गुप्त और कई इतिहासविदों ने इसे १४०० वि०सं० की रचना माना।
रासो की प्रमाणिकता
१. जिन विजय के जैन प्रबंध साहित्य 'पृथ्वीराज प्रबंध' और 'जयचंद प्रबंध' में वर्णित विषय से रासो की प्रमाणिकता सिद्ध होती है।
२. पुरातत्वविद व्युलर को संस्कृत में 'पृथ्वीराज विजय' नामक कृति मिली।
३. वर्ष २०२० में प्रधान मंत्री श्री नरेंद मोदी और राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद के नेतृत्व में दिल्ली में एक समिति गठित की गई, जिसमें १५ से अधिक विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों ने 'पृथ्वीराज रासो' के साहित्यिक और ऐतिहासिक साक्ष्यों पर शोध परक अध्ययन किए। इन अध्ययनों से रासो की प्रमाणिकता सिद्ध हुई। भारतीय सरकार की वेबसाइट पर ये जानकारियाँ उपलब्ध हैं।
पंडित मोहनलाल विष्णुलाल पंड्या ने रासो के समर्थन में कहा है कि रासो में ९०-९१ वर्षों का जो अंतर जान पड़ता है, यह भूल वश नहीं किसी नियम वश किया गया है। इस नियम को स्पष्ट करते उन्होंने रासो के एक दोहे का उल्लेख किया,
चंद ने अनंद विक्रम संवत की खोज की थी। यह गणना उस संवत से की गई है। मिश्रबंधुओं ने चंदबरदाई की तुलना अँग्रेज़ी भाषा के कवि चौसर से करते हुए लिखा है, "इन दोनों की रचनाएँ परम मनोहर थीं और वर्तमान समय के मनुष्य बिना विशेष प्रयत्न के इनकी भाषा समझ नहीं सकते।" इन दोनों की रचनाएँ समान हैं। जैसे चौसर को अँग्रेज़ लोग अँग्रेज़ी कविता का पिता समझते हैं, वैसे ही चंदबरदाई को हिंदी कविता का जन्मदाता कहा जा सकता है।
राजपूताने के गौरव पृथ्वीराज चौहान की गाथा राजस्थान ही नहीं, भारत के जन मानस के रोम-रोम में आज भी बसी है। २६ जनवरी २०२२ को रासो आधारित फिल्म 'पृथ्वीराज चौहान' रिलीज़ हुई जिसने देश भर में भारतीयों के मन में देशभक्ति की तरंग जगा दी। इसमें अक्षय कुमार को पृथ्वीराज और सोनू सूद को चंदबरदाई की भूमिका में ख़ूब सराहा गया। इससे अनुमान लगाया जा सकता कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी रासो की प्रासंगिकता कम नहीं हुई।
संदर्भ
चंदबरदाई - विकिपीडिया
चंदबरदाई - कविता कोश
hindawi
http://hindirang.com>Biography
भारत कोश
पृथ्वीराज रासो - यूट्यूब
मीनाक्षी, लगता है तुम्हें कालातीत लेखकों पर लिखना अधिक पसंद है। इससे पहले जयदेव और दादू पर लिखा था । इस बार चंदबरदाई पर उम्दा आलेख प्रस्तुत किया है तुमने। चंदबरदाई और उनकी प्रमुख कृति ‘पृथ्वीराज रासो’ से सिलसिलेवार ढंग से परिचित करवाया है। ‘शब्दभेदी बाण से वध वाली बात बहुत रुचिकर लगी। इस पठनीय, रोचक और सारगर्भित आलेख के लिए तुम्हें बधाई और धन्यवाद। मेरी कामना है कि तुम इससे भी उम्दा लेखन करती रहो।
ReplyDeleteमेरे आलेख लेखन के लिए आपके मार्ग दर्शन का भी सहयोग रहा,ये मेरा सौभाग्य है। मैं बहुत अनुग्रहित हूँ कि आपकी टिप्पणी से मेरा उत्साह बढ़ा। मेरा संकोच दूर हुआ। जी..मेरी रुचि है कि आध्यात्मिक परम्परा के साहित्य और साहित्यकारों के बारे में भी पढ़ूँ।इसलिए कालातीत विषय चुने। पृथ्वीराज चौहान और चंद बरदाई के गौरव गाथा से हर राजस्थानी का मन गौरवांवित महसूस करता। ये मेरी ओर से इन वीरों को श्रद्धांजलि थी जिसे शब्दों से व्यक्त करने की कोशिश की, कहा तक सफल रही ये आप सबकी प्रतिक्रिया से ही पता चलेगा। 🙏🏻🥰नमस्कार
ReplyDeleteचंदबरदाई के बारे में काफ़ी विस्तृत और अधिकृत जानकारी इस आलेख से मिली. मीनाक्षी जी की लेखनी की सशक्तता वंदनीय है. पूरे आलेख को अत्यंत रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है.
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार, आपने आलेख को इतना बारीकी से पढ़ा। नमस्कार
Deleteमीनाक्षी जी,
ReplyDeleteसाहित्यकार चंदबरदाई जी पर वृस्तत आलेख पढ़कर आपके लेखन से प्रभावित हूँ। चंद जी द्वारा रचित पृथ्वीराज रासों का उत्कृष्ट सारांश स्वयं के शब्दों से लिखपाना यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। अतिरोचक और ज्ञानवर्धक आलेख लेखन के लिए आपका आभार और अनंत शुभकामनाएं।
नमस्कार सर, आपने आलेख को पढ़ा और इतनी प्रेरणादायी टिप्पणी दी उसके लिए अनुग्रहित हूँ।
Deleteबहुत सुन्दर और ज्ञानवर्धक लेख लिखा है आपने बहन 👌👌👌👌
Deleteआभार दीदी
Deleteबहोत ही अच्छी लेखनी।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
DeleteChandarbardai ke baare, me vistrat jankari... Hindi k mahan kaviraj
ReplyDeleteआभार
Deleteबहुत ही बढ़िया आलेख | निश्चित ही लेख में आपने इतने पहलुओं पर प्रकाश डाला है । ... लेख लेखन में महारत हासिल है । हार्दिक शुभकामनाएं ....
ReplyDeleteबहुत आभार उमेश जी, आपने इतना गहराई से आलेख पढ़ा और उत्साह वर्धक टिप्पणी दी। नमस्कार
Deleteमीनाक्षी जी नमस्ते। आपने चन्दबरदाई पर बहुत अच्छा लेख लिखा है। इस महान कालातीत लेखक के बारे में आपने विस्तृत जानकारी दी। लेख पर आई टिप्पणियों ने लेख को विस्तार दिया और लेख को और रोचक बना दिया। आपको इस शोधपरक लेख के लिए हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteनमस्ते सर🙏🏻🙏🏻🥰 आपने आलेख और टिप्पणियों को बारीकी से पढ़ा और पसंद किया उसके लिए आभारी हूँ। आपकी उत्साह वर्धक टिप्पणी के लिए बहुत धन्यवाद🙏🏻🥰
ReplyDeleteप्रिय मीनाक्षी आपने चन्दबरदाई पर बहुत अच्छा लेख लिखा है। इनके बारे में और इनके द्वारा रचित महान कृति पृथ्वीराज रासो के सम्बंध में मेरी आधी-अधूरी जानकारी को, आपके इस लेख और पटल पर आयी टिप्पणियों के माध्यम से पूर्णता मिली। सरल सहज शैली में आपने चंद के बारे में विस्तृत और सिलसिलेवार जानकारी दी। इस शोधपरक, रोचक लेख के लिए आपको हार्दिक बधाई।💐💐
ReplyDeleteआपकी उत्साह वर्धक टिप्पणी हमेशा मेरा हौसला बढ़ाती। बहुत आभार स्नेह के लिए
Deleteहिंदी साहित्य का इतिहास, चंदबरदाई और पृथ्वीराज चौहान से जुड़े रोचक प्रसंगों पर गूढ़ शोध करके ज्ञानवर्धक आलेख प्रस्तुत किया है मीनाक्षी। आपके प्रयासों को नमन और आपको साधुवाद!🙏🌹
ReplyDelete~विद्या चौहान🙏
Deleteप्रिय विद्या दीदी, आप की स्नेह भरी प्रतिक्रिया से मुझे संबलन मिलता। नमस्ते
DeleteChand Bardai was an Indian poet who composed Prithviraj Raso and you give here brief information about that. It's really amazing and deep information about chandbardai.. Nice Article
ReplyDeleteमीनाक्षी कुमावत मीरा जी नमस्ते। आपने चंदबरदाई पर बहुत अच्छा लेख लिखा है। आपके इस लेख के माध्यम से उनके विस्तृत एवं महत्वपूर्ण साहित्य सृजन के बारे में पता चला। आपको इस महत्वपूर्ण एवं जानकारी भरे लेख के लिए हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत आभार, आपको लेख अच्छा लगा तो मेरा लिखना सार्थक हुआ।
Deleteअति सुंदर
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