अभिमन्यु अनत बहुमुखी प्रतिभासंपन्न साहित्यकार थे। उन्होंने साहित्य की अनेक विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई है और अपने साहित्य के माध्यम से मॉरीशसीय परिवेश के यथार्थ जीवन से जुड़ी समस्याओं और परिस्थितियों को उद्घाटित किया है ।
मॉरीशस एवं भारतीय पत्र-पत्रिकाओं और निजी संग्रहों में अभिमन्यु अनत की लगभग २०० से अधिक कहानियाँ प्रकाशित हुई हैं। उनके प्रकाशित आठ कहानी संग्रहों की कहानियों में आप्रवासी भारतीय मजदूरों के सुख-दुख, खेत खलिहान, धर्म और राजनीति, संस्कृति एवं अस्मिता से संबद्ध प्रश्नों व समस्याओं को सुगठित ढंग से पिरोया गया है। उपन्यासों एवं कहानियों में अभिमन्यु अनत की पात्र-सृष्टि बड़ी ही व्यापक रही है। बहुभाषी एवं बहुसांस्कृतिक परिवेश में रहते उनके पात्र हिंदू, मुसलमान, ईसाई आदि धर्मों के निम्न, मध्य एवं उच्च वर्गों के पात्र हैं। पात्रों का यह सुंदर सामंजस्य उनके कथा साहित्य को बेजोड़ बनाता हैं। उनके अनेक पात्र भोजपुरी, फ्रेंच, क्रिओल भाषा का प्रयोग करते हैं। यह आंचलिकता अभिमन्यु अनत की अपनी विशेषता है।
अभिमन्यु अनत के ३२ उपन्यास प्रकाशित हुए हैं। अधिकांश उपन्यासों में उन्होंने मॉरीशस के जीवन का अतीत, वर्तमान और भविष्य, तीनों स्थितियों-परिस्थितियों को साकार करने का सफ़ल प्रयास किया है। उनके उपन्यासों में 'लाल पसीना', 'गांधी जी बोले थे', 'और पसीना बहता रहा' विशेष उल्लेखनीय हैं, जिसमें उन्होंने उपनिवेशवादी ताकतों द्वारा भारत से लाए गिरमिटिया मज़दूरों एवं कुलियों पर किए गए क्रूर, अमानवीय शोषण का पर्दाफ़ाश किया है। उनका ‘लाल पसीना’ उपन्यास भारतीय अस्मिता, मानव अधिकार और स्वतंत्रता हेतु भारतीय मजदूरों के लिए संघर्ष को उद्घाटित करता है। अनत जी के उपन्यासों में मॉरीशस की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, धार्मिक सभी परिस्थितियों का यथार्थ चित्रण हुआ है। उनका ‘हम प्रवासी’ उपन्यास भी भारतीय अप्रवासियों के जहाज़ी जीवन की दारुण अवस्था से लेकर धर्म-परिवर्तन का संकट, शोषण की प्रवृत्ति, नारी उत्पीड़न तथा हिंदी भाषा-संस्कृति सुरक्षा की ललक लिए उभरा है। उनका ‘एक बीघा प्यार’ जो कई वर्षों तक माध्यमिक पाठ्यक्रम का अंग रहा है, किसान का भूमि-प्रेम तथा मानवीय संबंधों का सुंदर चित्र प्रस्तुत करता है। ‘शेफाली’ उपन्यास नारी को केंद्र में रखकर लिखा गया, जो विशेष रूप से वेश्या-जीवन का यथार्थ चित्र प्रस्तुत करता है। 'चुन-चुन चुनाव' राजनीति के क्षेत्र में हो रहे प्रपंचों, छल-कपट, जातिवाद, एवं सांप्रदायिक समस्याओं को उकेरता है। ‘अपनी-अपनी सीमा’ दांपत्य जीवन तथा पति-पत्नी के संबंध तथा नारी के प्रतिकार पर केंद्रित हैं। उनका ‘लहरों की बेटी’ तथा ‘चलती रहो अनुपमा’ मछुआरों की जीवनचर्या तथा स्त्री-विमर्श का यथार्थ दिखलाता है। समग्र रूप से देखा जाए तो अभिमन्यु अनत के उपन्यासों में ग्रामांचल से लेकर शहरी जीवन की अनेकानेक समस्याओं को उभारा गया है, जो अनत जी के विषय-वैविध्य दृष्टिकोण का परिणाम है।
कहानी, उपन्यास के साथ-साथ अनत जी कविताओं के सृजन से भी भावनात्मक अभिव्यक्ति करते हैं। अभिमन्यु अनत का काव्यबोध बहुत सशक्त है। उनकी कविताओं के विविध भावबोध में भी मूलतः मॉरीशस पहुँचे भारतीय मजदूरों के जीवन-संघर्ष की त्रासदी प्रतिध्वनित होती है। गिरमिटिया मजदूरों का संघर्ष, अपनी भाषा व संस्कृति तथा धर्म की रक्षा हेतु उनके अनवरत प्रयास कविताओं का मूल स्वर है। उनकी प्रसिद्ध कविता ‘गूंगा इतिहास’ की ये पंक्तियाँ प्रवासियों की पीड़ा का मार्मिक चित्र प्रस्तुत करती है,
युवा एवं क्रीड़ा मंत्रालय में सलाहकार के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने हिंदी नाट्य क्षेत्र में अनत जी ने महनीय कार्य किया। हिंदी नाटकों की रचना, अभिनय तथा उसके विकास में भी अभिमन्यु अनत का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। वे नाटकों के साथ-साथ नियमित रूप से एकांकी की मंच-प्रस्तुति गाँव व शहरों में किया करते थे। रेडियो पर भी उनके अनेक नाटक प्रस्तुत हुए। वे स्वयं नाटक का लेखन, निर्देशन और अभिनय भी करते थे। उनके प्रयास से मॉरीशस हिंदी-रंगमंच को भी एक नई दिशा मिली।
अभिमन्यु अनत ने उपन्यास, कहानी, काव्य एवं नाटक के अलावा आत्म संस्मरण भी लिखे हैं। उनके जीवन का आरंभिक अध्याय ‘भावों का पहला पहर’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ। उनके आत्म-संस्मरण ‘पाँच सेंट में बिका था मैं’ में उनके जीवन की झाँकी प्राप्त होती है, जहाँ उस समय ऐसी धारणा थी कि अगर नौ बच्चों में से पाँच गुज़र गए और असमय बचपन में अनत जी बार-बार बीमार पड़ जाते थे, तो ऐसी स्थिति में अगर बच्चे को कोई और खरीद ले तो उसकी जान बच जाती थी । रामजी भौजी ने इसीलिए उनको पाँच सेंट में खरीद लिया था। इस तरह के सुंदर एवं भावविभोर कर देने वाले संस्मरण बड़े ही संवेदनशील हैं।
अभिमन्यु अनत महात्मा गाँधी संस्थान, मॉरीशस में सृजनात्मक एवं प्रकाशन विभाग के अध्यक्ष होने के नाते, हिंदी पत्रिका ‘वसंत’ और ‘रिमझिम’ के लिए संपादकीय दायित्व भी निभाते रहे और लगभग २४ वर्षों तक इन पत्रिकाओं का संपादन किया। इन पत्रिकाओं के संपादकीय बड़े ही आक्रोशपूर्ण होते थे। वे बड़ी ही स्पष्टता एवं बेबाकी से हिंदी, भोजपुरी एवं संस्कृति पर अपने आक्रोश भर विचार व्यक्त किया करते थे। उन्होंने लोगों को हिंदी भाषा के प्रति सजग किया और इस भाषा को दमित करने वालों को आड़े हाथों लिया। विशेषकर ऐसे समय में जब प्राथमिक स्तर पर भारतीय भाषाओं को फ्रेंच और अँग्रेज़ी के सामने हेय माना जाता था। ऐसे में उनका संपादकीय बड़ा ही सशक्त रहा। एक उदाहरण देखिए, "बच्चों के हृदय से उनकी अपनी ज़बान नोचकर उसकी जगह पर सांस्कृतिक साम्राज्यवाद की, यानी दूसरी गुलामी की ज़बान फ्रेंच आज़ादी के बाद भी बसाई जा रही है, जिसे राजभाषा न होने के कारण अनिवार्य भाषा होने का कोई हक नहीं और ऊपर से यह फतवा कि भाषा प्रतिष्ठा की भाषा होती है और इसकी उपेक्षा और बहिष्कार की कैसे हो सकती है? भाषा और संस्कृति से संबद्ध हमारी सभी संस्थाएँ होंठों पर साबुत लेस्टोप्लास्ट चिपकाकर क्यों बैठी हैं? (‘हिंदी’ - ‘हिंदी के मसीहा चुप क्यों हैं?" १९७९ (वसंत, अंक ३)
अभि - एक लेखक को दूसरे शब्दों में तुम क्या कहोगे?
मन्यु - लेखक को तो बहुत सारे दूसरे शब्द दिए जा चुके हैं। श्रद्धा कहा गया है।
अभि - तुम क्या कहते हो?
मन्यु - मैं उसे मानव-मस्तिष्क का इंजीनियर मानना पसंद करूँगा।
अभि - यह पहली बार कहा जा रहा है?
मन्यु - हो सकता है, यह पहले भी कहा गया हो।
अभि - लेखक को तुम भी मानव-मस्तिष्क का इंजीनियर क्यों मानते हो ?
मन्यु - इंजीनियर का काम पुल बनाना होता है। और लेखक भी पुल बनाता है, पर लोहे-पत्थर और सीमेंट का नहीं, बल्कि विचारों और रिश्तों का। वह आदमी-आदमी के बीच रिश्तों का पुल बनाता है। वह छोटे-बड़े, गरीब-धनी, मजदूर-मालिक, वैश्या-सती, पुजारी और पापी - इन सारे अंतर्विरोधों के बीच की गवाही को पाटने के लिए सेतु तैयार करता है।
अभिमन्यु अनत मॉरीशस के एकमात्र ऐसे लेखक हैं, जिन्होंने सर्वाधिक विधाओं में अनेकानेक पुस्तकें लिखी हैं। जीवन के अंतिम पड़ाव में, आलजाइमर बीमारी का शिकार होने के कारण, बीच-बीच में उनका स्मृति लोप हो जाता था। ४ जून २०१८ को वे परमतत्त्व में विलीन हो गए। परंतु उनकी आत्मा आज भी उनके शब्दों के रूप में, साहित्य जगत में अपनी सुरभी बिखेरती रहती है। निरंतर पाँच दशकों तक साहित्य सृजन के प्रति उनका यह समर्पण भाव सदा नई पौध का मार्गदर्शन करती रहेगी। अनत ने अपना नाम ‘अनत’ चरितार्थ किया है। यथा नाम, तथा गुण। ऐसी पुण्यात्मा को शत-शत नमन।
संदर्भ
http://www.mauritiustimes.com/mt/abhimanyu-unnuth-a-great-writer-for-a-small-country/
मॉरीशस के हिंदी साहित्यकार, अभिमन्यु अनत - एक बातचीत, कमल किशोर गोयनका, ईशा ज्ञानदीप।
चक्रवाक, मॉरीशसीय लेखक अभिमन्यु अनत - विशेषांक, साहित्य-शोध-संस्कृति-समाजमुखी त्रैमासिक पत्रिका।
अभिनंदनीय
ReplyDeleteआदरणीय डॉ अंजलि चिंतामणि जी, दिवंगत आदरणीय अभिमन्यु अनत जी के साहित्य समालोचना बहुत ही सुंदर और रोचक तथ्यों से अवगत कराया और इससे वाकई हम भावविभोर हो गए हैं । वर्ष 2004 में कर्नाटक सरकार बैंगलुरू द्वारा भाषा कुंभ साहित्य पुरस्कार से सम्मानित करते समय हम भी वहां प्रतिभागि थे और शायद इस भाषा कुंभ साहित्य पुरस्कार समारोह बैंगलुरू में आदरणीय डॉ रत्नाकर पाण्डेय, पूर्व सांसद सदस्य और मैसूर हिंदी प्रचार परिषद सदस्य और मैसूर हिंदी प्रचार परिषद के प्रधान सचिव डॉ बी रामसंजीवय्या आदि हिंदी दिग्गज साहित्यकार उपस्थित थे । - डॉ महादेव एस कोलूर, सेवा निवृत्त सहायक निदेशक (राजभाषा) भासंनिलि विजयपुर एवं सदस्य सचिव नराकास बागलकोट कर्नाटक । ईमेल msk6009@gmail.com
ReplyDeleteअभिमन्यु अनत जी मेरे प्रिय प्रवासी लेखक रहे हैं। उनकी रचनाएँ या कोई आलेख जहाँ कहीं मिला तल्लीनता से पढ़ा।आप हिंदी साहित्य के मूर्धन्य रचनाकार हैं। इनकी रचनाओं से प्रभावित होकर उनकी पुस्तकों के कुछ नाम समेटकर 'गांधी जी बोले थे' एक नवगीत भी मैंने लिखा है ।
ReplyDeleteडॉ अंजलि जी आपने अनत जी के बारे में बहुत ही सुंदर, सुदृढ और प्रांजल भाषा में बताया है। उनके समग्र साहित्य का परिचय दिया है। इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद और उत्कृष्ट लेखन के लिए बधाई
ReplyDeleteसत्येंद्र सिंह, पूर्व वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी मध्य रेल पुणे महाराष्ट्र भारत। मो 9922993647
अंजलि जी नमस्ते। आपने अभिमन्यु अंनत जी पर बहुत अच्छा लेख लिखा। लेख के माध्यम से उनके साहित्य एवं जीवन यात्रा को जानने का अवसर मिला। आपको इस जानकारी भरे लेख के लिए हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteअंजलि जी, अभिमन्यु अनत जी के रचनाकर्म और व्यक्तित्व को आपका आलेख संतुलित और सटीक तरीक़े से प्रस्तुत करता है। मारिशस में रहने के कारण उनकी बयानी में आपकी क़लम की अद्भुत रवानी दिखती है। सुंदर लेखन के लिए आपको आभार और बधाई।
ReplyDeleteअभिमन्यु अनत जी के पुस्तक को मुफ्त में पीडीऍफ़ के रूप में डाउनलोड करने के लिए पधारे - KahaniKiDduniya.in
ReplyDeleteThis is very nice blog & amazing content writing of post each words. This is really good.