'हिंदी से प्यार है' समूह की इस "साहित्यकार तिथिवार" परियोजना के अंतर्गत हम प्रतिदिन आपको हिंदी साहित्य जगत के एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर से मिलवाते हैं। इन प्रख्यात साहित्यकारों के जन्मदिन/पुण्यतिथि के अनुसार एक कैलेंडरनुमा प्रारूप में बँधी यह आत्मीय शब्दांजलि आप सभी का स्नेह पाकर अभिभूत है। हमारा प्रमुख आकर्षण तिथियों से परे रचनाकार हैं, जिनकी उपस्थिति से यह पटल पावन और शाश्वत हो गया है। विगत नवंबर माह से यह सफ़र सफलता के नए कीर्तिमान गढ़ता हुआ इस माह के साहित्यकारों की अनमोल धरोहर लेकर उपस्थित है।
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शब्द जो राजाओं की घाटी में नाचते हैं जो माशूक़ की नाभि का क्षेत्रफल नापते हैं जो मेज़ों पर टेनिस बॉल की तरह लुढ़कते हैं जो मंचों की खारी ...
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" चिदानंदरूपः शिवोहं शिवोहं" ७८८ ईस्वी में , दक्षिण भारत में , केरल के कलाड़ी ग्राम में , वैशाख शुक्ल पंचमी को एक बालक का जन्म हु...
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हिंदी साहित्य में जब भी विधाओं की बात आती है तो सबसे पहले जिन विधाओं की चर्चा होती है, वे हैं- कविता, कहानी, उपन्यास; उसके बाद निबंध और आल...
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कलेंडर जनवरी
आचार्य नरेंद्रदेव : भारत में समाजवाद के पितामह
"समाजवाद का सवाल केवल रोटी का सवाल नहीं है। समाजवाद मानव स्वतंत्रता की कुंजी है। समाजवाद ही एक सुखी समाज में संपूर्ण स्वतंत्र मनुष्यत्व...
उत्तम। जितना सुंदर स्वरांगी जी का आलेख है , उतनी ही ही सुंदर नीरजा जी की स्वर-प्रस्तुति भी है। हमें साहित्यकार तिथिवार के सभी आलेख ऑडियो स्वरूप में तैयार करने चाहियें। आज के व्यस्त जीवन में यदि व्यक्ति घर से कार्यालय जाते हुए अथवा लौटते हुए साहित्यिक रस ले सके तो बड़ा लाभ होगा। 🌹💐
ReplyDeleteमीराबाई जी पर स्वरांगी जी ने जितना अच्छा लेख लिखा है नीरजा जी ने अपनी आवाज में लेख को उतनी ही अच्छी प्रस्तुति दी है। दोनों को बहुत बहुत बधाई।
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